भक्ति योग का अर्थ है
“एक मानव को पूर्ण विवेकशील व परम आनंदित महामानव बनाने वाला योग “!
एक ऐसा महामानव जो पूरी दुनिया को खुद की तरह विवेकवान व परम आनंदित बनाने की क्षमता विकसित करता है व पूरी दुनिया को अपने इस महान व पवित्र उद्देश्य में शामिल करने का लक्ष्य बनाता है! यह सिर्फ भक्ति योग से ही संभव है! आजकल विश्व भर में भक्ति का जो पैटर्न चल रहा है उससे सिर्फ अंधविश्वासी तैयार हो रहे हैं अर्थात पूरी मनुष्यता को मानसिक रोगी बनाया जा रहा है! आज विवेक हीनता इतनी बढ़ गई है कि जो संत जितना झूठ और पाखंड फैला रहा है उसके पास उतनी ही बड़ी भीड़ जमा हो रही है परंतु जो सच में ही मनुष्यता को सही रास्ता दिखा सकता है वहाँ तो मनुष्य जा ही नहीं रहा है जिसके कारण भक्ति का असली स्वरूप ही गायब हो गया है! आज भक्ति सिर्फ कामना पूर्ति अर्थात मोक्ष, स्वर्ग, नाम,यश व धन आदि पाने के लिए की जाती है जो सिर्फ एक पाखंड है !
यहाँ तक कि कामना तो ईश्वर प्राप्ति की भी सही नहीं है क्योंकि हे प्रिय विश्ववासियो भक्ति योग का मतलब कुछ पाना नहीं बल्कि अपने आप को विकसित करना है! आज विश्व भर में मोक्ष की ओर आकर्षित/प्रेरित करने वाले संतों की तादाद कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी है जिन्होंने पूरे भक्ति योग के स्वरूप को ही बिगाड़ कर रख दिया है ! प्रिय विश्व वासियो भक्ति के सही स्वरूप को समझो! भक्ति योग केवल कुछ कामनाओं की पूर्ति का साधन नहीं बल्कि भक्ति ही मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए क्योंकि जिसके जीवन मे भक्ति आ गई वही मनुष्य सर्वगुण संपन्न व परम आनंदित मानव बनता है अर्थात भक्ति ही मनुष्य को एक सुन्दर व खुशबूदार फूल बनाती है जिसकी खुशबू से पूरा विश्व महक उठता है! हे मनुष्यों, विश्व भर में अच्छे संतों की भी कमी नहीं है उनके सानिध्य में रहकर विवेक जागृत करने का प्रयास करो तभी भक्ति योग समझ में आएगा अन्यथा इन पाखंडियों द्वारा दिए गए ज्ञान से तो सिर्फ सड़न ही पैदा होगी!
मेरे गुरुदेव कहते है “भक्ति तो महारानी है व मुक्ति दासी है ” और इतिहास गवाह है जिसने रानी को छोड़कर दासी को पाने का प्रयास किया है उसके पास चरित्र ,शांति,आनंद, प्रेम , इज्जत , शोहरत आदि कुछ भी तो नहीं बचता है परंतु भक्ति वह महारानी है जो मनुष्य को बिना किसी भी कामना के नाम, यश, चरित्र, परम शांति, परम आनंद, प्रेम, इज्जत, शोहरत आदि सब कुछ प्रदान करती है! प्रिया विश्व वासियो भक्ति में वह आनंद मिलता है जिसके बाद मोक्ष की इच्छा ही कौन करें, वह तो बार-बार जन्म लेना चाहेगा और भक्ति का आनंद लेना चाहेगा! इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह स्वयं भी इस योग को अपने जीवन में लेकर आए व अपनी संतानों को भी इस योग की शिक्षा दें तभी हम एक खुशहाल जीवन की आशा कर सकते है!
भक्ति योग पर चलने के लिए
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— कभी भी किसी जीव की हत्या न करें क्योंकि मनुष्य की तरह वह भी मृत्यु से डरता है ! जीव हिंसा त्याग मनुष्य में करुणा व सामजस्य का भाव जगाता है!
— कभी चोरी ना करें बल्कि किसी निर्बल का बल बने !
— व्यभिचार ना करें अर्थात केवल अपनी पत्नी या पति से ही संबंध रखें !
–कभी असत्य ना बोले, ऐसे वचन ना बोले जो सत्य को तोड़ते मरोड़ते हो!
— किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन न करें !
हे मनुष्यो, भक्ति योग एक बहुत बड़ा अध्याय है जिसको सिर्फ एक लेख में लिखा जाना पॉसिबल नहीं है इसलिए सिर्फ आपको दिशा दिखाने के लिए कुछ ही बातें लेख में लिखी गई है लेकिन यह सत्य है कि जो लेख में लिखा गया है उसके अनुसार आचरण करना शुरू किया तो मनुष्य में पूर्ण विवेक जागृत होगा जो किसी शास्त्र से बहुत बड़ा होगा व इसी विवेक से मनुष्य परम भक्ति का आनंद ले पाता है! धन्यवाद